Essay on National Voters Day in Hindi

Essay on National Voters Day in Hindi: राष्ट्रीय मतदाता दिवस पर जानें थीम, इतिहास और मतदान का महत्व

राष्ट्रीय मतदाता दिवस पर निबंध: भारत में चुनावों को अति महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि ये देश के प्रत्येक नागरिक को अपने प्रतिनिधि को चुनने का अवसर प्रदान करते हैं। जो देश के राजनीतिक और प्रशासनिक कार्यों का निर्णय लेते है। कभी कभी मतदाता चुनाव में भाग नहीं लेते या सही उम्मीदवार का चयन नहीं करते जिसका मुख्य कारण अज्ञानता, अपर्याप्त जानकारी और मतदाताओं की उदासीनता है। मतदाता दिवस के बारे में कई अन्य महत्वपूर्ण जानकारी हमने इस लेख में विस्तार से बताई हैं-

प्रस्तावना:

25 जनवरी 2025 को 15वाँ राष्ट्रीय मतदाता दिवस मनाया गया था, जो भारत निर्वाचन आयोग के 75 वर्ष पूरे होने का प्रतीक है। देश के गणतंत्र बनने से एक दिन पहले 25 जनवरी 1950 को ECI (भारतीय चुनाव आयोग) की स्थापना की गई।

वर्ष 1989 में इलेक्ट्रॉनिक वोटर  मशीन (EVM) का प्रावधान किया गया। वर्ष 2011 में चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए वोटर वेरिफियेबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) का  प्रोटोटाइप विकसित किया गया और  2013 में पहली बार इसका इस्तेमाल किया गया।

वर्ष 2013 में सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के बाद EVM में नोटा विकल्प शामिल किया गया था।

राष्ट्रीय मतदाता दिवस क्या है?

1947 में जब देश आजाद हुआ तो उसके सामने बहुत सी चुनौतियां थीं।  राष्ट्रीय मतदाता दिवस राष्ट्र के भविष्य को आकर देने में व्यक्तिगत आवाज की शक्ति है। जिसमें सबसे बड़ी चुनौती थी देश की लोकतांत्रिक नींव का निर्माण करना। दरअसल 26 जनवरी 1950 को देश में संविधान तो लागू हो गया लेकिन लोकतंत्र बनने के लिए आम चुनाव जरूरी थे। इसी साल 25 जनवरी 1950 को भारत का चुनाव आयोग (ECI) अस्तित्व में आया था। भारत सरकार ने प्रत्येक मतदान को महत्वपूर्ण बनाने के लिए वर्ष 2011 में लोगों की मतदान में भागीदारी बढ़ाने के लिए 25 जनवरी को ही राष्ट्रीय मतदाता दिवस मनाने की शुरुआत की थी। इस दिवस का आयोजन देश के प्रत्येक नागरिक को राष्ट्र के प्रति उसकी जिम्मेदारी बताता है। क्योंकि आम आदमी एक वोट भी सरकार बदल सकता है हमारा एक वोट सही प्रतिनिधि चुन सकता है। इसलिए भारत के प्रत्येक नागरिक अपना वोट सोच समझ कर देना चाहिए। और ऐसा प्रतिनिधि चुनना चाहिए जो देश को विकास और तरक्की की ओर ले जाए। हमें ऐसे सरकार को वोट देना चाहिए जो धर्म और जाती से ऊपर उठकर काम करें तभी देश तरक्की कर पाएगा।

भारत में राष्ट्रीय मतदाता दिवस का इतिहास:

25 जनवरी 1950 को भारतीय चुनाव आयोग (ECI) अस्तित्व में आया। राष्ट्रीय मतदाता दिवस पहली बार 2011 में मतदाताओं को चुनावी प्रक्रिया के लिए प्रोत्साहित करने के लिए मनाया गया था। निःसंदेह यह भारत के लोकतंत्र और मतदान के अधिकार का उत्सव मनाने का दिन है।

आपको बता दें कि पहले मतदान करने की आयु 21 वर्ष थी, लेकिन सन् 1988 में उसे घटकर 18 वर्ष कर दिया गया। 1989 के 61वें संशोधन विधेयक में निहित इस परिवर्तन और मतदाता दिवस की घोषणा ने मतदान प्रक्रिया में युवाओं की हिस्सेदारी बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है।

भारत में राष्ट्रीय मतदाता दिवस का महत्व:

दुनिया भर में भारत जैसे बड़े लोकतंत्र में मतदान को लेकर कम होते रुझान को देखते हुए राष्ट्रीय मतदाता दिवस की घोषणा की गई।

सबसे पहले इसे 2011 में मनाया गया था, उसे मनाने के पीछे उद्देश्य था कि भारत में मतदान केंद्र वाले क्षेत्रों में प्रतीक वर्ष उन सभी मतदाताओं की पहचान की जा सके जिनकी उम्र एक जनवरी को 18 वर्ष पूरी हो जाएगी। इसके तहत 18 वर्ष या उससे अधित उम्र के मतदाताओं की पहचान की जा सके और उनका नाम  मतदाता सूची में शामिल किया जा सके और उन्हें निर्वाचन फोटो पहचान पत्र सौंप दिए जाएं।

राष्ट्रीय मतदाता दिवस मनाए का मुख्य कारण लोगों को मतदान के लिए जागरूक और प्रेरित किया जा सके। जिससे वे मतदान का महत्व समझे और सही उम्मीदवार को चुने जो देश के विकास में अपना योगदान दे सके।

राष्ट्रीय मतदाता दिवस की थीम:

राष्ट्रीय मतदात दिवस 2025 की थीम “वोटिंग जैसा कुछ नहीं वोट जरूर डालेंगे हम” थी। हर साल मतदाता दिवस की अलग-अलग थीम बनाई जाती है जिससे चुनावी प्रक्रिया में भाग लेने वाले मतदाताओं को मतदान करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। यह विषय राष्ट्रीय, राज्य , जिला और स्थानीय स्तरों पर प्रसारित होता है। यह मतदाताओं को उनके वोट की शक्ति को पहचानने के लिए प्रेरित करता है।

YearTheam
2025मतदान से बढ़कर कुछ नहीं, मै निश्चित रूप से मतदान करूंगा
2024मतदान से बढ़कर कुछ नहीं, मै निश्चित रूप से मतदान करूंगा
2023मतदान से बढ़कर कुछ नहीं, मै निश्चित रूप से मतदान करूंगा
2022चुनाव को समावेशी,सुलभ, और सहभागी बनाना।
2021हमारे मतदाताओं को सशक्त, सतर्क, सुरक्षित और सूचित बनाना

भारत में राष्ट्रीय मतदाता दिवस कैसे मनाते हैं?

भारत एक लोकतांत्रिक देश है यहां के हर व्यक्ति को मतदान करने का मौलिक अधिकार प्राप्त है। उसे अपनी स्वेच्छा से नेता चुनने का अधिकार है। जिसे वह देश का नेतृत्व करने, बदलाव लाने और आम लोगों की समस्या का समाधान करने में सक्षम समझता हो। राष्ट्रीय मतदाता दिवस देश के प्रत्येक व्यक्ति के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि देश का भविष्य हमारे द्वारा चुने गए नेता पर निर्भर करता है।

यदि हम मतदान करके सही नेता नहीं चुनेंगे तो देश का विकास और प्रगति बाधित होगी जिसका असर देश की जनता पर पड़ेगा। देश का नेता ही विभिन्न बड़ी परियोजनाओं और कई चीजों का फैसला लेता है। अगर देश की बुनियादी व्यवस्था ही ठीक नहीं होगी तो देश प्रगति नहीं कर पाएगा।

निष्कर्ष:

राष्ट्रीय मतदाता दिवस लोकतंत्र और नागरिक भागीदारी का प्रतीक बनकर एक महत्वपूर्ण अवसर बन गया है। यह दिन प्रत्येक नागरिक में निहित उत्तरदायित्व  और उसकी शक्तियों का प्रमाण बन गया है। यह दिन सशक्तिकरण और प्रत्येक नागरिक के उत्तरदायित्व और राष्ट्र का महत्व बताने वाले लोकतांत्रिक आदर्शों के प्रति समान प्रतिबद्धता दर्शाता है।

जब हम राष्ट्रीय मतदाता दिवस मनाते हैं तो हमें यह याद रखना चाहिए कि हमारी सामूहिक शक्ति ने केवल राजनीतिक परिदृश्य को बदल सकती है, बल्कि जरूरतमंदों की मदद करने में भी निहित है।

FAQs

प्रश्न: राष्ट्रीय मतदाता दिवस कब मनाया जाता है?

उत्तर: राष्ट्रीय मतदाता दिवस 25 जनवरी को मनाया जाता है।

प्रश्न: साल 2025 में कौन सा मतदाता दिवस मनाया गया?

उत्तर: साल 2025 में 15 वां मतदाता दिवस मनाया गया।

प्रश्न: प्रथम मतदाता दिवस कब मनाया गया?

उत्तर: प्रथम मतदाता दिवस 2011 में मनाया गया।

प्रश्न: भारत के चुनाव आयोग की स्थापना कब हुई?

उत्तर: भारत के चुनाव आयोग की स्थापना 25 जनवरी 1950 को हुई।

प्रश्न: राष्ट्रीय मतदाता दिवस 2025 थीम क्या थी?

उत्तर: राष्ट्रीय मतदाता दिवस 2025 थीम “मतदान से बढ़कर कुछ नहीं, मैं ज़रूर मतदान करूँगा” थी।

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