Essay on chhath puja in Hindi: भारतीय संस्कृति में छठ पूजा एक अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक माना जाता है। जो मुख्यतः बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश, झारखंड और नेपाल के कुछ क्षेत्रों में मनाया जाता है। छठ पूजा में सूर्य देव और छठी मईया की आराधना की जाती है। चार दिनों तक चलने वाला यह त्योहार भक्ति, शुद्धता और सामूहिकता का प्रतीक माना जाता है। इस पावन पर्व का उल्लेख महाभारत और रामायण जैसे पौराणिक शास्त्रों में भी देखा जाता है। छठ पूजा कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को बड़ी धूमधाम से देश भर में मनाया जाता है। इस लेख में हम आपको छठ पूजा से संबंधित सभी रोचक कहानियों के साथ इसका इतिहास और वैज्ञानिक महत्व के बारे में भी बताएंगे।
Essay on Chhath puja in 100 Words: (छठ पूजा पर 100 शब्दों में निबंध)
छठ पूजा भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे मुख्य रूप से बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड और देश के कई अन्य क्षेत्रों में भी मनाया जाता है। छठ पूजा का प्रारंभ कार्तिक मास की चतुर्थी तिथि से होता हैं इसमें मुख्य रूप से सूर्य देव और छठी मईया की पूजा की जाती है। यह त्योहार चार दिनों तक चलने वाला त्योहार है, जिसकी शुरुआत पर्व के पहले दिन नहाए खाए से होती है जिसमें भक्त स्नान करके सात्विक भोजन करते हैं। दूसरे दिन खरना मनाते हैं जिसमें पूरे दिन उपवास रखा जाता है, जिसमें शाम को गुड की खीर और रोटी प्रसाद रूप में ग्रहण की जाती है। तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और चौथे यानी आखिरी दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देकर पूजा का समापन किया जाता है।
Essay on chhath puja in 500 words: छठ पूजा पर निबंध 500 शब्दों में
छठ पूजा भारत के प्रसिद्ध और पवित्र त्योहारों में से एक है। यह बिहार सहित उत्तर प्रदेश और देश के अन्य क्षेत्रों में मनाया जाने वाला त्योहार है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यह माना जाता है कि छठी मईया भक्तों की संतानों की रक्षा करती हैं और सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। छठ पूजा को भारत के कई क्षेत्रों में डाला छठ के नाम से भी जाना जाता है। आइए इस त्योहार के बारे में विस्तार से जानते हैं-
छठ पूजा का परिचय:
छठ पूजा को छठी मईया और सूर्य देवता की आराधना का पर्व माना जाता है। यह चार दिनों तक चलने वाला प्रसिद्ध त्योहार है। छठ पूजा का प्रारंभ नहाए खाए से होता है जिसमें शुद्धता और घर की साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दिया जाता है। इसमें पहले दिन पवित्र स्नान करने के बाद सात्विक भोजन ग्रहण किया जाता है। दूसरे दिन खरना मनाया जाता है जिसमें उपवास करने वाला भक्त प्रसाद के रूप में गुड़ की खीर और रोटी खाता है। तीसरा दिन संध्या अर्घ्य के रूप में जाना जाता है इसमें डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और फिर चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देकर उपवास का समापन किया जाता है।
छठ पूजा का इतिहास:
छठ पूजा के इतिहास की बात करें तो इसको मनाने की कई कहानियां प्रचलित हैं जैसे कुछ लोग इसे मनाने की शुरुआत रामायण से मानते हैं तो इसके विपरीत कुछ लोग इसका उदघोष महाभारत के समय से मानते हैं।
ऐसा माना जाता है कि भगवान राम ने छठ पूजा की शुरुआत की थी। चौदह वर्ष के वनवास के बाद जब भगवान राम अयोध्या वाला लौटे तो उन्होंने और उनकी पत्नी माया सीता ने सूर्य देवता के सम्मान में उपवास रखा और सूर्य अस्त के पश्चात ही उपवास तोड़ा। मान्यता है यही आगे चलकर छठ पूजा के रूप में विकसित हुआ।
कुछ लोग इसका संबंध महाभारत से भी मानते हैं। इसमें कर्ण को सूर्य देव और कुंती की संतान माना गया है। ऐसी अवधारणा है कि कर्ण सदैव पानी में खड़े होकर प्रार्थना किया करते थे हालांकि, यह सिर्फ एक कहानी है जिसमें कहा गया है कि पांडवों और द्रौपदी ने भी अपने राज्य को वापस पाने के लिए भी कुछ इसी तरह का व्रत और पूजा की थी।
छठ पूजा के चार दिन:
छठ पूजा एक चार दिवसीय त्योहार है जो हिंदुओं के सबसे प्रसिद्ध त्योहार दिवाली के 6 दिन बाद होता है इसलिए इस छठ पूजा कहा जाता है। आइए इसके चार दिनों में क्या क्या होता हैं समझते हैं
दिन 1 नहाए खाए: छठ पूजा के पहले दिन श्रद्धालु गंगा, कोसी और कर्णाली जैसी नदियों में डुबकी लगाकर पवित्र स्नान करते हैं। पवित्र स्नान के बाद पवित्र प्रसाद के लिए जल घर ले जाते हैं यह छठ पूजा के पहले दिन की विधि है।
दिन 2 खरना: छठ पूजा के दूसरे दिन भक्त सारा दिन उपवास रखते हैं और सूर्यास्त के बाद चंद्रमा की पूजा करके गुड की खीर, चावल और केले जैसे प्रसाद का सेवन करते हैं प्रसाद ग्रहण करने बाद भक्त को 36 घंटे तक बिना पानी के उपवास करना होता है।
दिन 3 संध्या अर्घ्य: छठ पूजा के दिन भी निर्जला व्रत रखा जाता है और सारा दिन प्रसाद तैयार किया जाता है। प्रसाद में नारियल, ठेकुआ, केला और कई अन्य मौसमी फल शामिल होते हैं। तीसरे दिन की शाम में सभी रस्में किसी स्वच्छ तलब, नदी या जलाशय में पूर्ण की जाती हैं। तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य की आराधना की जाती है।
दिन 4 सूर्य अर्घ्य: छठ पूजा के आखिरी दिन भक्त पुनः किसी जलाशय, नदी या तलब के किनारे एकत्रित होते हैं और उगते सूरज को अर्घ्य देकर उसकी आराधना करते हैं इसके बाद भक्त अदरक और चीनी खाकर व्रत तोड़ते हैं।
निष्कर्ष:
छठ पूजा हमें सूर्य देव और प्रकृति के प्रति सम्मान व्यक्त करना सिखाता है। यह पर्व बिना किसी भेदभाव के समानता, सादगी और पर्यावरण संरक्षण पर जोर देता है। सूर्य अस्त को अर्घ्य देने का तात्पर्य एक नए और स्वास्थ्यवर्धक सवेरे की उम्मीद है। छठ पूजा से सीख मिलती है कि पर्यावरण को बिना कोई नुकसान पहुंचाए भी त्योहार मनाए जा सकते हैं। छठ पूजा आधुनिकता से परे साधारण और सात्विक जीवनशैली के महत्व पर जोर देता है।
FAQs
प्रश्न: छठ माता किसकी अवतार है?
उत्तर: छठ माता ब्रह्मा जी की मानस पुत्री और भगवान सूर्य की बहन हैं।
प्रश्न: छठ पूजा कितने घंटे का होता है?
उत्तर: छठ पूजा 36 घंटे का होता है।
प्रश्न: छठ माता किसकी पत्नी थी?
उत्तर: छठ माता भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय की पत्नी हैं।
प्रश्न: छठ पूजा का इतिहास क्या है?
उत्तर: छठ पूजा का इतिहास महाभारत और रामायण काल से जुड़ा है, जिसमें यह माना जाता है कि भगवान राम और माता सीता ने पहली बार इस व्रत को किया था।
प्रश्न: छठ पूजा में नहाए खाए कब है?
उत्तर: छठ पूजा में नहाए खाए कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि नहाय खाय पर किया जाता है।
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