दीपावली का ये त्योहार…
दीप जले है कई हजार…
फिर भी मेरा मन है सूना…
यादों को तेरे है छूना…
दिये जलाओ या करो उजियारा…
ये अंधियारा तभी मिटेगा…
जब मानव को मानव होगा प्यारा…
आओ एक दिया ऐसा भी जलाए…

जो यादों को तेरे और चमकाए…
यादें तेरी बाती जैसी…
जीवन भर की साथी है…
तेरा मेरा साथ है ऐसे…
जैसे दिया और बाती है…
जिस दिन तुम मिल जाते हो…
दिवाली मन जाती है…
।।अनूप कुमार त्रिपाठी।।

