Muhjor Mein Kaun Sa Samas Hai : स्कूल से लेकर प्रतियोगी परीक्षाओं तक समास एक अहम हिस्सा है। समास अलग-अलग प्रकार के होते हैं। समास दो शब्दों या पदों (पूर्वपद तथा उत्तरपद) के मेल से बने तीसरे नए शब्द या पद समास या समस्त पद कहलाते हैं तथा वह प्रक्रिया जिसके द्वारा ‘समस्त पद’ बनता है। आज हम आपको मुँहजोर में कौनसा समास है? (Muhjor Mein Kaun Sa Samas Hai) और इसका समास विग्रह क्या होता है के बारे में बताएंगे।
समास क्या है? (Samas kya hai)
समास दो या दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने एक सार्थक शब्द को कहते हैं । जब समस्त-पदों को अलग-अलग किया जाता है, तो इस प्रक्रिया को समास-विग्रह कहते हैं।
मुँहजोर में कौनसा समास है? (Muhjor Mein Kaun sa Samas Hai)
मुँहजोर में कर्मधारय समास होता है। कर्मधारय समास में पहला पद विशेषण और दूसरा पद विशेष्य होता है। वहीं इसमें पूर्वपद और उत्तरपद में उपमान और उपमेय का संबंध होता है। जिसमें दोनों पदों में विभक्ति समान होती है। उसे कर्मधारय समास कहते हैं।
कर्मधारय समास के उदाहरण
कर्मधारय समास के उदाहरण निम्न प्रकार हैं–
समस्तपद | समास-विग्रह |
नीलकमल | ‘नीला है कमल जो’ |
चंद्रमुख | चंद्रमा के समान मुख वाला |
महादेव | महान है जो देव |
कमलनयन | कमल के समान नयन |
चरणकमल | कमल के समान चरण |
कनकलता | कनक के समान लता |
परमानंद | परम है जो आनंद |
प्राणप्रिय | प्राण से भी प्यारा |
लालमणि | लाल है जो मणि |
मृगनयन | मृग रूपी नयन |
पीतांबर | पीत है अम्बर जिसका |
कमलनयन | कमल के समान नयन |
महापुरुष | महान है जो पुरुष |
चरणकमल | कमल के समान चरण |
महाजन | महान है जो जन |
समास के कितने भेद हैं?
समास के 6 भेद होते है, जो निम्न प्रकार के हैं-
- अव्ययीभाव समास (Avyay Bhav Samas)
- तत्पुरुष समास (Tatpurush Samas)
- द्विगु समास (Digu Samas)
- द्वन्द्व समास (Dwand Samas)
- कर्मधारय समास (Karm Dharay Samas)
- बहुव्रीहि समास (Bahuvrihi Samas)
FAQs
नवरात्र में द्विगु समास है।
दिवारात्रि में कर्मधारय समास है।
पार्वती शब्द में द्वंद्व समास है।
शिव शंकर में कर्मधारय समास है।
संबंधित अर्टिकल
उम्मीद है आप सभी पाठकों को मुँहजोर में कौनसा समास है? (Muhjor Mein Kaun Sa Samas Hai) से संबंधित जानकारी मिल गई होगी। ऐसे ही और अधिक समास के ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Shikshatak.com पर विजिट करें।